कर्मचारियों ने नकार दी ‘UPS’: क्यों फेल हुई सरकार की एकीकृत पेंशन योजना, 24 लाख में से सिर्फ 70 हजार ने चुना विकल्प
केंद्र सरकार द्वारा ‘नई पेंशन योजना’ (एनपीएस) के स्थान पर पेश की गई एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को केंद्रीय कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर नकार दिया है। सरकार द्वारा योजना में शामिल होने की अंतिम तिथि आज (30 सितंबर) है, लेकिन अब तक केवल 70,670 कर्मचारी ही इसमें शामिल हुए हैं। यह संख्या एनपीएस के कुल 24.64 लाख कर्मचारियों की तुलना में बेहद कम है — यानी सिर्फ 3 प्रतिशत कर्मचारियों ने यूपीएस का विकल्प चुना है।
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से 30 जून 2025 तक एनपीएस कर्मियों को यूपीएस में शामिल होने का मौका दिया था। उस अवधि में करीब 30 लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से केवल 31,555 ने ही योजना चुनी। इसके बाद कर्मचारियों की उदासीनता को देखते हुए सरकार ने अंतिम तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी। लेकिन इसके बाद भी संख्या में कोई बड़ा इजाफा नहीं हुआ।
विभागवार स्थिति:
24 सितंबर तक जारी आंकड़ों के अनुसार —
- सिविल विभाग के 21,366
- डाक विभाग के 9,996
- दूरसंचार विभाग के 130
- रेलवे के 18,024
- रक्षा सिविल सेक्टर के 7,058
कर्मचारियों ने यूपीएस में शामिल होने का विकल्प चुना।
यह जानकारी पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने महाराष्ट्र राज्य जुनी पेन्शन संघटना (NMOPS महाराष्ट्र) के सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे की आरटीआई के जवाब में 29 सितंबर को दी।

कर्मचारियों का विरोध, बोले – हमें ‘ओपीएस’ चाहिए
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव सी. श्रीकुमार, एनएमओपीएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वितेश खांडेकर, ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल और कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एस.बी. यादव ने कहा कि यूपीएस योजना पूरी तरह फेल साबित हुई है।
वितेश खांडेकर ने कहा —
“कर्मचारियों की एकमात्र मांग गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली है। यूपीएस में ओपीएस जैसी सुरक्षा और निश्चितता नहीं है। सरकार ने ओपीएस बहाल करने की जगह नया विकल्प थोप दिया, जिसे कर्मचारियों ने सिरे से नकार दिया।”
उन्होंने यह भी बताया कि 25 नवंबर को दिल्ली में यूपीएस के विरोध में एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

