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बिहार चुनाव ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए SSB जवान मुकेश गुर्जर को सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

सीकर (राजस्थान): बिहार विधानसभा चुनाव ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सीकर जिले के रींगस उपखंड के परसरामपुरा गांव के सशस्त्र सीमा बल (SSB) जवान मुकेश कुमार गुर्जर को रविवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पूरे गांव में “शहीद मुकेश अमर रहे”, “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों से वातावरण गूंज उठा।

38 वर्षीय जवान मुकेश गुर्जर एसएसबी की 71वीं बटालियन में तैनात थे और हाल ही में उन्हें मुजफ्फरपुर (बिहार) में चुनाव ड्यूटी पर भेजा गया था। 24 अक्टूबर की शाम करीब 6 बजे ड्यूटी के दौरान वे छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

शनिवार रात को जब जवान का पार्थिव शरीर रींगस थाने पहुंचा, तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। रविवार दोपहर तिरंगा यात्रा के रूप में अंतिम यात्रा निकाली गई। रास्ते भर ग्रामीणों ने नारों के साथ अपने शहीद सपूत को श्रद्धांजलि दी। घर पहुंचने पर एसएसबी के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

परसरामपुरा गांव में शहीद स्मारक के पास अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया। शहीद के 15 वर्षीय बेटे दीपक गुर्जर ने नम आंखों से पिता को मुखाग्नि दी। इस भावुक पल में हर आंख नम हो गई। परिवार में मां मनभरी देवी, पत्नी सुमन देवी, बेटी पायल और बहन पिंकी का रो-रोकर बुरा हाल है।

शहीद की अंतिम यात्रा में विधायक सुभाष मील, पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला, भाजपा नेता श्याम चौधरी, उपखंड अधिकारी बृजेश कुमार सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। एसएसबी इंस्पेक्टर रमेश गुर्जर ने शहीद के पुत्र को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा।

मुकेश गुर्जर ने 29 जून 2013 को एसएसबी जॉइन की थी और 12 वर्ष 3 माह 25 दिन तक देश सेवा की। उनका 39वां जन्मदिन 10 नवंबर को आने वाला था, लेकिन उससे पहले ही वे देश के लिए शहीद हो गए।

परिजनों और ग्रामीणों की मांग पर विधायक सुभाष मील ने घोषणा की कि वे अपने निजी खर्च से शहीद स्मारक का निर्माण करवाएंगे। वहीं एसडीएम बृजेश कुमार ने शहीद के घर के पास 500 वर्गमीटर जमीन स्मारक निर्माण के लिए आवंटित करने की घोषणा की।

गांव में शहीद की खबर सुनते ही शोक की लहर दौड़ गई। घर-घर के चूल्हे ठंडे रहे और हर जुबां पर एक ही वाक्य था —
“देश की सेवा में प्राण न्यौछावर करने वाले ऐसे बेटे पर पूरा रींगस गर्व करता है।”

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