सशस्त्र सीमा बल (SSB) के एएसआई को कस्टम्स एक्ट के तहत माल जब्त करने का अधिकार नहीं : पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा है कि सशस्त्र सीमा बल (SSB) के सहायक उप-निरीक्षक (ASI) कस्टम्स एक्ट, 1962 के तहत माल जब्त करने के सक्षम अधिकारी नहीं हैं। कोर्ट ने गेहूं की ज़ब्ती और बाद की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए सरकार को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को गेहूं का मूल्य ब्याज सहित लौटाया जाए।
मामला
21 अप्रैल 2023 को भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के एक एएसआई ने 35 बोरी गेहूं और उसे ले जा रही ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोककर जब्त किया और आगे की कार्रवाई के लिए कस्टम्स अधिकारियों को सौंप दिया। बाद में कस्टम्स विभाग ने अधिनिर्णयन आदेश जारी करते हुए माल को ज़ब्त कर लिया और 1 फरवरी 2024 को ई-ऑक्शन के माध्यम से गेहूं बेच दिया।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता फरियाद आलम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि –
- एसएसबी का एएसआई कस्टम्स एक्ट के तहत माल जब्त करने का अधिकारी ही नहीं है।
- ज़ब्ती मेमो में “reason to believe” यानी उचित कारण दर्ज नहीं था।
- जब writ लंबित थी तब जल्दबाज़ी में ज़ब्ती आदेश पारित कर दिया गया और 120 दिन की कानूनी अवधि की प्रतीक्षा किए बिना सिर्फ 29 दिन में नीलामी कर दी गई।
हाईकोर्ट का अवलोकन
न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति अशोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने कहा –
- “reason to believe” दर्ज किए बिना बनाई गई ज़ब्ती मेमो अस्थायी है और टिक नहीं सकती।
- एसएसबी का एएसआई कानूनन ऐसी कार्रवाई करने का अधिकारी नहीं है।
- ज़ब्ती आदेश writ याचिका लंबित रहने के दौरान पारित हुआ और नीलामी की कार्रवाई कस्टम्स एक्ट की धारा 125(3) के खिलाफ थी।
कोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि पूरी कार्रवाई असंवैधानिक और अस्थायी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि –
- याचिकाकर्ता को ₹46,200 की पूरी राशि 6% ब्याज सहित दी जाए।
- ₹5,000 मुकदमेबाजी खर्च भी अदा किया जाए।
- आदेश का पालन छह सप्ताह के भीतर किया जाए।
👉 इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एसएसबी जवानों की भूमिका सीमा की सुरक्षा तक सीमित है, जबकि कस्टम्स से संबंधित जब्ती केवल अधिकृत अधिकारियों द्वारा ही की जा सकती है।

