कर्मचारियों ने नहीं दिखाया उत्साह: 24 लाख NPS कर्मियों में से केवल 97 हजार ने चुना UPS, OPS बहाली की मांग तेज
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को लेकर कर्मचारियों में उत्साह की कमी साफ नजर आ रही है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर 2025 तक 24 लाख एनपीएस (NPS) कर्मियों में से केवल 97,094 कर्मचारियों ने ही यूपीएस को अपनाया है। बाकी कर्मचारी अब भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग पर अड़े हुए हैं।

सरकार ने यूपीएस चुनने की आखिरी तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 कर दी थी, लेकिन कर्मचारियों का रुझान अब भी नकारात्मक है। कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस की तरह यूपीएस भी अंशदायी योजना है, जबकि ओपीएस पूरी तरह गैर-अंशदायी और सुरक्षित पेंशन सुनिश्चित करती थी।
कर्मचारी संगठनों ने मोर्चा खोला
‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS)‘ के बैनर तले देशभर के कर्मचारी ओपीएस की बहाली के लिए आंदोलन तेज कर चुके हैं। आगामी 9 नवंबर को जंतर मंतर, दिल्ली में विशाल रैली आयोजित की जाएगी। इसके बाद 25 नवंबर को भी राष्ट्रीय स्तर पर रैली की घोषणा की गई है।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि यूपीएस में कर्मचारियों को कोई विशेष लाभ नहीं है। उन्होंने बताया कि “यूपीएस के तहत पेंशन राशि का 90% हिस्सा सरकार रोक लेती है, जो न तो कर्मचारी को मिलता है और न ही उसके आश्रितों को।” उन्होंने इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन बताया।
एनपीएस से छूट, फिर भी भेदभाव
श्रीकुमार ने सवाल उठाया कि जब सशस्त्र बलों को एनपीएस से छूट दी गई है, तो सिविल कर्मचारियों को इससे बाहर क्यों नहीं रखा गया। वहीं, निर्वाचित प्रतिनिधि, न्यायाधीश और सांसदों को पूरी पेंशन मिलती है, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों को नहीं।
संघों का सरकार को अल्टीमेटम
‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एस.बी. यादव ने कहा कि यदि सरकार ने ओपीएस बहाली की दिशा में कदम नहीं उठाया, तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार कर्मचारियों पर यूपीएस थोप रही है और उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है।”
कर्मचारियों के रुख से स्पष्ट है कि वे एनपीएस या यूपीएस, किसी अंशदायी पेंशन योजना को स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। उनकी एक ही मांग है — पुरानी पेंशन योजना (OPS) की पूर्ण बहाली। आने वाले दिनों में यह मुद्दा केंद्र सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच बड़ा विवाद बन सकता है।

