34 साल बाद मिला शहादत का सम्मान: ITBP ने झांसी के वीर सपूत अनूप श्रीवास्तव के परिवार को खोजकर किया सम्मानित
देश की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले झांसी के वीर सपूत आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police) के उप सेनानायक अनूप श्रीवास्तव को 34 साल बाद आखिरकार “शहीद” का दर्जा मिला। यह सम्मान तब संभव हुआ जब आईटीबीपी के एक कर्मी ने उनकी गुमशुदा परिजनों का पता लगाकर विभाग को जानकारी दी। इसके बाद दिल्ली में एक भावनात्मक समारोह के दौरान शहीद की मां पुष्पा श्रीवास्तव को औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया।

🔹 हिम स्खलन में शहीद हुए थे अनूप श्रीवास्तव
झांसी निवासी अनूप श्रीवास्तव वर्ष 1990 में हिमाचल प्रदेश में तैनात थे। 20 सितंबर 1991 को ड्यूटी के दौरान आए हिमस्खलन (avalanche) में वे शहीद हो गए। उस समय उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी। बेटे की शहादत के बाद पूरा परिवार टूट गया और झांसी लौट आया।

🔹 33 साल तक खोजता रहा विभाग
आईटीबीपी के रिकॉर्ड में अनूप श्रीवास्तव के शहीद होने की प्रक्रिया वर्षों से चल रही थी, लेकिन परिवार का कोई पता नहीं था। दो साल पहले करैरा (मध्यप्रदेश) में तैनात एक आईटीबीपी जवान ने झांसी में उनके परिजनों को खोज निकाला। इसी जवान ने अधिकारियों को सूचना दी और 33 साल बाद विभाग परिवार तक पहुंच सका।
🔹 दिल्ली में मिला “शहीद” का दर्जा
परिवार की पुष्टि के बाद आईटीबीपी मुख्यालय, नई दिल्ली में पुष्पा श्रीवास्तव को आमंत्रित किया गया। वहां उन्हें बेटे की शहादत का प्रमाणपत्र और सम्मान चिन्ह सौंपा गया। भावुक मां ने कहा —
“बेटे के बलिदान पर गर्व है। 34 साल बाद जब विभाग ने बुलाया, तो ऐसा लगा जैसे अनूप फिर से हमारे पास लौट आया हो।”
🔹 शहीद की याद में बनाया स्कूल
अनूप श्रीवास्तव के पिता जगत प्रकाश श्रीवास्तव, जो जेल सुपरिटेंडेंट रहे, ने बेटे की स्मृति में झांसी में एक स्कूल स्थापित किया है, जहां जरूरतमंद बच्चों को नाममात्र की फीस में शिक्षा दी जाती है। परिवार आज भी बेटे की वीरता को समाज के लिए प्रेरणा के रूप में जीवित रखे हुए है।
🔹 झांसी में लगेगी प्रतिमा
आईटीबीपी ने घोषणा की है कि झांसी में लहर की देवी मंदिर के पास शहीद अनूप श्रीवास्तव की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और नगर निगम से अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
🕊️ वीर सपूत को नमन
34 वर्षों बाद मिला यह सम्मान न केवल एक परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि देश की हर उस मां के लिए भी श्रद्धांजलि है, जिसने अपने बेटे को मातृभूमि की रक्षा में खोया है।
आईटीबीपी ने एक बार फिर साबित किया है कि बलिदान कभी भुलाए नहीं जाते। 🇮🇳

