17 साल बाद ITBP जवान की बर्खास्तगी रद्द ,हाईकोर्ट ने दूसरी शादी के आधार पर हुई कार्रवाई को अनुचित बताया
ग्वालियर हाईकोर्ट ने इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान जोगेंद्र सिंह की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया है। जवान को दूसरी शादी करने के आरोप में 2008 में सेवा से बर्खास्त किया गया था। अदालत ने इस कार्रवाई को “अनुपातहीन” बताते हुए कहा कि यह मामला जवान के व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा है, न कि उसके कार्य प्रदर्शन से।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अनुशासन बनाए रखना जरूरी है, लेकिन सजा तय करते समय कर्मचारी की सेवा अवधि और परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। अदालत ने विभाग को निर्देश दिया कि दो माह के भीतर नियमों के तहत मामले पर पुनर्विचार कर उपयुक्त दंड निर्धारित किया जाए।
जोगेंद्र सिंह वर्ष 1990 में आईटीबीपी में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। उनकी पहली पत्नी सरला देवी लंबे समय से बीमार थीं और घरेलू कार्य करने में असमर्थ थीं। ऐसी स्थिति में उन्होंने 1995 में पहली पत्नी की सहमति से दूसरी शादी की थी।
विभाग ने इस आधार पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और 2008 में सेवा से बर्खास्त कर दिया। अपील खारिज होने के बाद जोगेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। करीब 17 साल बाद अब कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीपी सिंह ने दलील दी कि जवान ने लगभग 18 वर्ष तक ईमानदारी से सेवा की और कभी अपने कर्तव्यों की उपेक्षा नहीं की। उन्होंने बताया कि पहली पत्नी ने स्वयं शपथपत्र देकर दूसरी शादी के लिए सहमति दी थी। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि केवल दूसरी शादी के आधार पर नौकरी से निकालना न्यायसंगत नहीं है, खासकर जब इससे जवान और उसका परिवार आर्थिक संकट में आ गया।

