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ITBP जवान की बर्खास्तगी रद्द, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा – बीमारी के दौरान अनुपस्थिति को ‘भगोड़ा’ मानना अनुचित

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कांस्टेबल महेंद्र सिंह की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए कहा कि यह निर्णय मनमाना और अनुचित था। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 18 वर्षों से अधिक समय तक बेदाग सेवा की थी और बार-बार अपनी बीमारी की सूचना अधिकारियों को दी थी, फिर भी बिना जांच किए उसे भगोड़ा घोषित कर सेवा से बाहर कर दिया गया।

महेंद्र सिंह वर्ष 1998 में आईटीबीपी में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुए थे। वर्ष 2005 में ड्यूटी के दौरान उनका एक्सीडेंट हुआ, जिसके बाद उन्हें न्यूरोलॉजिकल समस्या और क्षय रोग (टीबी) हो गया। इलाज के लिए उन्हें देहरादून स्थित सेना अस्पताल में भर्ती किया गया था। प्रारंभ में 30 दिन की छुट्टी दी गई, लेकिन बीमारी बढ़ने पर जब उन्होंने छुट्टी बढ़ाने का अनुरोध किया तो उसे अस्वीकार कर दिया गया और बाद में उन्हें भगोड़ा घोषित कर बर्खास्त कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने आईटीबीपी के भीतर अपील की, जो खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने और उनके परिवार ने अधिकारियों को बार-बार अपनी बीमारी की जानकारी दी थी, लेकिन किसी ने उनकी स्थिति की जांच नहीं की।

कोर्ट ने पाया कि आईटीबीपी ने न तो अवकाश विस्तार पर कोई निर्णय लिया और न ही मेडिकल स्थिति की पुष्टि के लिए कोई जांच की। न्यायालय ने कहा कि इतनी लंबी और ईमानदार सेवा के बाद बिना जांच किए बर्खास्तगी करना “कठोर और पूरी तरह से अनुचित” है।

इसलिए, कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि बीमारी या चिकित्सीय कारणों से अनुपस्थित कर्मचारी को ‘भगोड़ा’ नहीं कहा जा सकता।

मामला: Mahender Singh v/s Union of India & Others

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