पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने CISF कांस्टेबल की याचिका खारिज की, कहा – ड्यूटी या छुट्टी पर, हर स्थिति में अनुशासन सर्वोपरि। 🇮🇳
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के कांस्टेबल गुरनाम सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि “वर्दी सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि सम्मान और जिम्मेदारी भी देती है। ड्यूटी पर हों या छुट्टी पर, हर स्थिति में अनुशासित और जिम्मेदार आचरण अपेक्षित है।”
मामला 2009 का है, जब गुरनाम सिंह को 10 दिन की छुट्टी के दौरान अपने गांव में एक धार्मिक सभा में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था। इस पर CISF ने विभागीय जांच शुरू की और दोषी पाए जाने पर उनके वेतन में कटौती की सजा दी गई थी।
कांस्टेबल ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए कहा कि आरोप झूठे हैं और गांव के नंबरदार ने निजी दुश्मनी के चलते शिकायत की थी। हालांकि, कोर्ट ने CISF के पक्ष को सही ठहराया।
हाईकोर्ट ने कहा कि अनुशासित बलों के सदस्यों को आम नागरिकों की तरह भाषण या गतिविधियों की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे संविधान और राष्ट्र की सुरक्षा की शपथ लेते हैं।
न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने कहा कि धार्मिक या भड़काऊ भाषण देना सेवा नियमों, शपथ और संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है। अदालत ने कहा कि विभागीय सजा में कोई कानूनी त्रुटि नहीं पाई गई, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

