CAPF इंस्पेक्टरों का प्रमोशन व ग्रेड पे विवाद: अदालतों में जीत के बाद भी नहीं मिला न्याय
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPF) के इंस्पेक्टर लंबे समय से पदोन्नति और वित्तीय लाभ से वंचित हैं। कई इंस्पेक्टर ऐसे हैं जो 14-15 साल से एक ही पद पर कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें प्रमोशन का लाभ नहीं मिला। अदालतों में बार-बार जीत मिलने के बावजूद केंद्र सरकार के रवैये ने इन्हें निराश कर दिया है।
अदालत में जीत, लेकिन लाभ से वंचित
इंस्पेक्टरों का कहना है कि वे सीमा पर सुरक्षा, आतंकवाद और नक्सलवाद विरोधी अभियानों से लेकर आपदा राहत तक में अपनी जिम्मेदारियां पूरी निष्ठा से निभाते हैं। इसके बावजूद सरकार उन्हें न्याय नहीं दे रही। 2008 में वित्त मंत्रालय ने एक कार्यालय ज्ञापन (ओएम) जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जिन कर्मचारियों का ग्रेड पे ₹4800 है और उन्होंने चार साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें ₹5400 का ग्रेड पे मिलना चाहिए। यही लाभ सिविल विभागों को दिया गया, लेकिन अर्धसैनिक बलों को इससे बाहर रखा गया।
अदालतों का हस्तक्षेप और सरकार का रवैया
आईटीबीपी इंस्पेक्टर सुशील कुमार ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह केस जीता। दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 सितंबर को गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पर्सनल) को अदालत में पेश होने का आदेश दिया। इसके बाद आईटीबीपी ने सुशील कुमार को ₹5400 का ग्रेड पे देने का आदेश तो जारी किया, लेकिन अभी तक उनका वेतन नए पैमाने पर फिक्स नहीं हुआ। उनका मामला सीआरओ में लंबित है।
बीएसएफ के 129 इंस्पेक्टरों का मामला भी दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर 24 सितंबर तक आदेश लागू नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी अदालत में पेश हों। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया है, लेकिन इंस्पेक्टरों को अब तक न्याय नहीं मिला।
यही नहीं, इस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट पहले ही सरकार को फटकार लगा चुका है। सीबीडीटी के इंस्पेक्टर एम. सुब्रमण्यम के केस में 2017 और 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद ग्रुप ‘बी’ के कर्मचारियों को यह लाभ दिया गया, लेकिन अर्धसैनिक बलों को इससे बाहर रखा गया।
अगली सुनवाई की तारीखें
- आईटीबीपी इंस्पेक्टर सुशील कुमार का मामला: अवमानना याचिका की सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
- बीएसएफ के 129 इंस्पेक्टरों का मामला: सुनवाई अब 28 नवंबर को तय की गई है।
- सीआरपीएफ इंस्पेक्टरों का मामला: सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
सीएपीएफ इंस्पेक्टरों का कहना है कि वे देश की सुरक्षा में अपनी जान की बाजी लगाते हैं, लेकिन सरकार उनके वैधानिक अधिकारों को भी लागू नहीं कर रही। अदालतों में लगातार जीत के बावजूद उन्हें फायदा नहीं मिलना, एक तरह से उनकी सेवा और समर्पण की अनदेखी है। अब निगाहें अदालत की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि क्या अर्धसैनिक बलों के इन निरीक्षकों को आखिरकार उनका हक मिलेगा या उन्हें फिर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।


I hope that come some mordenity, new thoughts,new working system , and new amendment beneficiary policy , medical facilities depends parents for home town staying family, permotion policy, home zone period transfer policy, unit to Home town LTC every year TOW TIME minimum,etc