फर्जी यौन उत्पीड़न केस में BSF अधिकारी को 10 लाख रुपये का मुआवजा
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक अधिकारी को फर्जी यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण हुए मानसिक और सामाजिक नुकसान के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने माना कि झूठे आरोपों से अधिकारी की प्रतिष्ठा और सम्मान को गंभीर नुकसान हुआ, जबकि उनका तीन दशक से अधिक का सेवा रिकॉर्ड बेदाग रहा।
यह फैसला जिला न्यायाधीश गुंजन गुप्ता ने साकेत कोर्ट में सुनाया। अधिकारी ने 2016 में उन पर लगाए गए झूठे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद मुआवजे की मांग की थी। उनके पक्ष में अधिवक्ता बिजेंद्र सिंह ने मुफ्त में पैरवी की।
अदालत ने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर अपराध है, लेकिन झूठे आरोप भी उतने ही गंभीर होते हैं क्योंकि वे किसी व्यक्ति के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। न्यायाधीश ने यह भी माना कि शिकायतें मनगढ़ंत और व्यक्तिगत द्वेष से प्रेरित थीं।
बीएसएफ की जांच और POSH अधिनियम के तहत आंतरिक शिकायत समिति ने भी अधिकारी को आरोपों से बरी किया था। अदालत ने नोट किया कि आरोपों की पुष्टि करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था, और अधिकारी कथित घटना के समय कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
अधिकारी ने 30 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उनके 35 साल से अधिक के बेदाग सेवा रिकॉर्ड, झूठे आरोपों से हुए कलंक और मानसिक पीड़ा को देखते हुए 10 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि झूठी शिकायतों से कार्यस्थल में अधिकारियों की सुरक्षा और उनके कर्तव्यों का पालन प्रभावित नहीं होना चाहिए।