BSF ने लॉन्च की अत्याधुनिक ‘निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS), AI और GIS तकनीक से सीमा सुरक्षा होगी और मजबूत
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने तकनीकी नवाचार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सोमवार को बल मुख्यालय में ‘निर्णय समर्थन प्रणाली (Decision Support System – DSS)’ का शुभारंभ किया। इस प्रणाली का उद्घाटन बीएसएफ के महानिदेशक श्री दलजीत सिंह चौधरी ने किया।
यह उन्नत प्रणाली बीएसएफ कमांडरों की निर्णय लेने की क्षमता को सशक्त बनाने और सीमा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी एवं सटीक बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। DSS के माध्यम से अब कमांडर सीमा पर तस्करी के हॉटस्पॉट, घुसपैठ मार्गों और संभावित गतिविधियों का पूर्वानुमान अधिक सटीकता से लगा सकेंगे।
AI और GIS आधारित आधुनिक तकनीक से लैस प्रणाली
निर्णय समर्थन प्रणाली एक AI/ML (Artificial Intelligence / Machine Learning) आधारित प्लेटफॉर्म है जो जीआईएस (Geographical Information System) तकनीक की सहायता से सीमा क्षेत्रों का विश्लेषण करती है।
यह प्रणाली बीएसएफ के कमांडरों को भूमिका-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से सूचित निर्णय लेने, संसाधनों के बेहतर आवंटन और ऑपरेशनल योजना बनाने में मदद करेगी।
सिस्टम में विरासत संचालन डेटाबेस और सीमा से मिलने वाले सेंसर फीड को भी जोड़ा गया है, जिससे मुख्यालय को एक समग्र संचालन चित्र (Common Operating Picture – COP) प्राप्त होगा।
भविष्य में अन्य सुरक्षा तंत्रों से एकीकरण
भविष्य में DSS को CIBMS (Comprehensive Integrated Border Management System) और बीएसएफ के अन्य कमांड सेंटरों के साथ जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, इसे अन्य सुरक्षा बलों और संगठनों के GIS प्लेटफॉर्म से भी एकीकृत किया जाएगा।
वास्तविक समय पर डेटा संग्रह और घटना रिपोर्टिंग के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन को DSS से जोड़े जाने की योजना है। आगामी चरणों में इसमें OSINT, बिग डेटा और IMD डेटा को भी शामिल किया जाएगा।
सीमा सुरक्षा में मिलेगा रणनीतिक लाभ
बीएसएफ की यह नई तकनीकी पहल बल को सीमा सुरक्षा के उभरते खतरों से निपटने में रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगी। DSS के माध्यम से बल न केवल मौजूदा परिस्थितियों का बेहतर विश्लेषण कर सकेगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों का भी पूर्वानुमान और त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगा।
बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि, “निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) बीएसएफ की परिचालन क्षमता को नई दिशा देगी। यह प्रणाली तकनीकी साधनों के माध्यम से हमारी सीमाओं की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

