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CRPF NEWS

ड्रैगन फाइटर बनी RAF: अमेरिकी सैन्य टुकड़ी संग मिशन संभाल चुकी है CRPF की यह विशेष इकाई33वें स्थापना दिवस पर जानें क्यों होते हैं इस यूनिट में डबल अफसर

देश की सबसे बड़ी केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की विशेष इकाई रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) आज अपना 33वां स्थापना दिवस मना रही है। हर वर्ष 7 अक्टूबर को मनाया जाने वाला यह दिवस, इस फोर्स की तेज़ कार्रवाई, अनुशासन और वैश्विक योगदान की याद दिलाता है। आरएएफ ने न सिर्फ देश में दंगे और उपद्रवों को नियंत्रण में रखा है, बल्कि विदेशों में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ “ड्रैगन फाइटर” बटालियन के रूप में भी शानदार सेवाएं दी हैं।

🇮🇳 विदेशों में भी चमकी आरएएफ की छवि

आरएएफ ने हैती में संयुक्त राष्ट्र मिशन के दौरान अमेरिकी सेना के साथ मिलकर 504 सैन्य पुलिस बटालियन (ड्रैगन फाइटर) के रूप में कठिन परिस्थितियों में चुनाव संपन्न कराए। इस मिशन में शामिल सभी 120 कर्मियों को संयुक्त राष्ट्र पदक, यूएस आर्मी प्रशंसा पदक, और अचीवमेंट मेडल से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, कोसोवो, नामीबिया, सोमालिया, मालदीव, और बोसनिया जैसे देशों में भी आरएएफ ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

👩‍✈️ महिला शक्ति का भी शांति मिशन में योगदान

भारत की एकमात्र पूर्ण महिला पुलिस इकाई (FFPU), जो सीआरपीएफ की आरएएफ यूनिट से गठित हुई, 2007 में लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत भेजी गई। 23 देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा राष्ट्र था, जिसने पूरी महिला टुकड़ी तैनात की। इस दल को राष्ट्रपति कार्यालय की सुरक्षा, मोबाइल गश्त, तलाशी अभियान और दंगे नियंत्रण जैसे अहम कार्य सौंपे गए।

⚔️ क्यों कहलाती है स्पेशलाइज्ड फोर्स

पूर्व एडीजी एसएस संधू, जिन्होंने वर्षों तक आरएएफ में सेवा दी, बताते हैं —

“आरएएफ एक स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग फोर्स है। यह कानून व्यवस्था बनाए रखने, दंगे और उपद्रव जैसी आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई करती है। आम लोगों में भरोसा जगाने और भीड़ नियंत्रण में इनकी भूमिका निर्णायक होती है।”

आरएएफ को ‘फेमिलीराइजेशन’ यानी स्थानीय समुदाय से तालमेल की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। यही कारण है कि किसी भी संवेदनशील इलाके में यह फोर्स सबसे पहले तैनात की जाती है।

🧑‍✈️ आरएएफ में अफसर ज्यादा क्यों होते हैं

आरएएफ की एक बटालियन में लगभग 1,300 जवान होते हैं। अन्य सीआरपीएफ बटालियनों की तुलना में आरएएफ में अफसरों की संख्या दो से तीन गुना अधिक रहती है। जहां सामान्य बटालियन में तीन ‘सीओ’ (Commanding Officer) होते हैं, वहीं आरएएफ में आठ सीओ तैनात रहते हैं। इसका कारण यह है कि आरएएफ हर पल त्वरित निर्णय और सूक्ष्म प्रबंधन की आवश्यकता वाली परिस्थितियों से निपटती है।

🚨 डीएम को मिलती है तत्काल तैनाती की शक्ति

देश के कई राज्यों में जिला मजिस्ट्रेट (DM) को यह अधिकार प्राप्त है कि किसी भी आपात स्थिति में वह बिना केंद्र की मंजूरी के तीन दिन तक आरएएफ की तैनाती कर सकता है।

📅 1992 में हुई थी स्थापना

आरएएफ की स्थापना 7 अक्टूबर 1992 को 10 बटालियनों के साथ की गई थी। बाद में 2018 में 5 नई बटालियन जोड़ी गईं, जिससे अब इसकी कुल 15 बटालियन सक्रिय हैं।
यह फोर्स कानून व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण, दंगे रोकने और समाज में आपसी विश्वास कायम करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में जुटी रहती है।

🛡️ आधुनिक उपकरणों से लैस

आरएएफ के जवान रॉयट गियर, वॉटर गन, रॉयट ड्रिल और नॉन-लेथल वेपन्स जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं। इनकी यूनिफॉर्म का रंग भी अलग होता है — नीला और काला — जो इन्हें अन्य बलों से अलग पहचान देता है।

तेज कार्रवाई, सटीक प्रशिक्षण और मानवीय दृष्टिकोण के साथ आरएएफ ने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का गौरव बढ़ाया है। “ड्रैगन फाइटर” के रूप में इसकी शौर्य गाथा आज भी विश्व पटल पर भारतीय फोर्स की ताकत का प्रतीक है।

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