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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द की CRPF कॉन्स्टेबल की बर्खास्तगी, ड्यूटी के दौरान सोने का मामला

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में सीआरपीएफ (CRPF) कॉन्स्टेबल की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया है। कॉन्स्टेबल को ड्यूटी के दौरान महज़ दो घंटे सो जाने पर बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने इसे “अत्यधिक असंगत सजा” करार देते हुए कहा कि बर्खास्तगी किसी जवान के पूरे करियर और आजीविका का अंत कर देती है, जो एक तरह से नागरिक मृत्यु जैसा है।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने आदेश में कहा कि अनुशासन सुरक्षा बलों की रीढ़ है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हल्की गलती पर भी कठोर दंड दिया जाए। सजा हमेशा अपराध और परिस्थितियों के अनुरूप होनी चाहिए।

मामले की सुनवाई में सामने आया कि कॉन्स्टेबल उस समय अपनी मां की गंभीर बीमारी के मानसिक दबाव से गुजर रहे थे। मेडिकल रिकॉर्ड से यह तथ्य साबित भी हुआ। वे न तो ड्यूटी स्थल से अनुपस्थित थे और न ही उन्होंने स्टेशन को असुरक्षित छोड़ा था। उनके खिलाफ नशे में होने का आरोप भी साबित नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने माना कि लगभग 15 साल की सेवा, बहादुरी के लिए मिले सम्मान और अच्छे सेवा रिकार्ड को देखते हुए बर्खास्तगी बिल्कुल अनुचित है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सीआरपीएफ अधिनियम, 1949 की धारा 11(1) के तहत केवल लघु अपराधों पर हल्की सजा का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने इसे अनुचित रूप से गंभीर अनुशासनहीनता बना दिया।

अंततः अदालत ने कहा कि मां की बीमारी और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कॉन्स्टेबल की बर्खास्तगी कानून की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। इसलिए उनका बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया गया।

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