CRPF की पहल पर MHA ने मांगे प्रस्ताव, ऑपरेशन में दिव्यांग CAPF जवानों को मिलेगा ‘युद्ध चोट भत्ता’
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने खतरनाक ऑपरेशनों में घायल होकर दिव्यांग बने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPF) के कार्मिकों के लिए बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने इन कार्मिकों को ‘युद्ध चोट भत्ता’ देने के मकसद से सभी बलों से विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। खास बात यह है कि यह पहल केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव के आधार पर की गई है।
गृह मंत्रालय के पुलिस-2 प्रभाग (पुनर्वास एवं कल्याण निदेशालय) ने बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी और असम राइफल्स के महानिदेशकों को पत्र लिखकर अपने-अपने बल से संबंधित जानकारी भेजने को कहा है। इसके साथ ही सीआरपीएफ से भी अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है।
सीआरपीएफ ने पेश किया था प्रस्ताव
नक्सल प्रभावित इलाकों, उत्तर-पूर्व और जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा तैनाती सीआरपीएफ की रहती है। इन क्षेत्रों में जवान अक्सर आतंकवादियों, उग्रवादियों और नक्सलियों के खिलाफ जानलेवा ऑपरेशन करते हैं। ऐसे ऑपरेशनों में कई जवान शहीद होते हैं, जबकि बड़ी संख्या में कार्मिक घायल होकर दिव्यांग बन जाते हैं। इन्हीं दिव्यांग कार्मिकों के कल्याण के लिए सीआरपीएफ ने ‘युद्ध चोट भत्ता’ का प्रस्ताव तैयार कर गृह मंत्रालय को भेजा था।
क्यों जरूरी है ‘युद्ध चोट भत्ता’
सीआरपीएफ के मुताबिक तलाशी अभियानों या ऑपरेशनल गतिविधियों के दौरान आईईडी ब्लास्ट, गोलीबारी या अन्य हमलों में जवानों के हाथ, पैर, आंख, कान या शरीर का कोई अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है। दिव्यांगता की स्थिति में कार्मिकों को न केवल अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है बल्कि उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी में कई कठिनाइयाँ आती हैं। इससे उनके परिवार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
क्यों जरूरी है ‘युद्ध चोट भत्ता’
सीआरपीएफ के मुताबिक तलाशी अभियानों या ऑपरेशनल गतिविधियों के दौरान आईईडी ब्लास्ट, गोलीबारी या अन्य हमलों में जवानों के हाथ, पैर, आंख, कान या शरीर का कोई अन्य अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है। दिव्यांगता की स्थिति में कार्मिकों को न केवल अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है बल्कि उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी में कई कठिनाइयाँ आती हैं। इससे उनके परिवार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
कितनी होगी भत्ते की राशि
सीआरपीएफ के प्रस्ताव में दिव्यांग कार्मिकों को अलग-अलग श्रेणियों में मासिक भत्ता देने का सुझाव दिया गया है:
- ₹10,000 प्रतिमाह – जिनका एक अंग (हाथ, पैर, आंख, कान या बोलने की क्षमता) क्षतिग्रस्त हुआ है।
- ₹20,000 प्रतिमाह – जिनके एक से अधिक अंगों की हानि हुई है।
- ₹15,000 प्रतिमाह – रीढ़ की हड्डी की चोट से अशक्त कार्मिकों को।
- ₹2 लाख प्रतिमाह या एकमुश्त अनुदान – जिन्हें चिकित्सकीय श्रेणी के आधार पर सेवा से अयोग्य घोषित कर बोर्ड आउट/समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया है।
सभी बलों से मांगी गई जानकारी
गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में सभी बलों से कहा है कि वे दिव्यांग कार्मिकों की वर्तमान संख्या, मौजूदा वित्तीय लाभ/भत्तों का विवरण और इस प्रस्ताव के वित्तीय प्रभाव की संपूर्ण जानकारी मंत्रालय की मेल आईडी पर अतिशीघ्र उपलब्ध कराएं।
यह कदम केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कार्यरत उन बहादुर जवानों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अपने अंग गंवाए हैं।