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BSF कांस्टेबल की बर्खास्तगी बरकरार: नशे में बॉर्डर पर 13 राउंड फायरिंग पर हाईकोर्ट का सख्त फैसला

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक कांस्टेबल की बर्खास्तगी को सही ठहराया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में 13 राउंड फायरिंग करने का दोषी पाया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की लापरवाह हरकत से दो देशों के बीच गंभीर अंतरराष्ट्रीय विवाद पैदा हो सकता है।

यह मामला पूर्व कांस्टेबल राजेश कुमार से जुड़ा है, जिसने 2009 में अपनी सेवा से बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। आरोप था कि वह ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में था और बिना किसी उकसावे के अपनी सर्विस राइफल से गोलियां चला दीं। इसके चलते सीमा पर गंभीर स्थिति बन सकती थी।

राजेश कुमार ने दलील दी थी कि उसे बचाव की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला और मुख्य सबूत उसे सिर्फ दो दिन पहले ही दिए गए। साथ ही उसने तर्क दिया कि उसका दोष स्वीकारने का बयान बीएसएफ नियमों के अनुसार सही तरीके से दर्ज नहीं किया गया।

लेकिन हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी शामिल थे, ने कहा कि उस समय दोष स्वीकारने पर हस्ताक्षर अनिवार्य नहीं थे। यह संशोधन नवंबर 2011 में लागू हुआ था, जबकि घटना 2009 की है।

कोर्ट ने माना कि कांस्टेबल को आरोपों की जानकारी दी गई थी, परिणाम समझाए गए थे और उसने खुद दोष स्वीकार किया था। इसलिए बर्खास्तगी को न तो असंगत और न ही कठोर सजा कहा जा सकता है।

हाईकोर्ट ने निचली अदालत और सुरक्षा बल की कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि सीमा पर तैनात जवानों से सर्वोच्च अनुशासन की उम्मीद की जाती है और नशे की हालत में अंधाधुंध फायरिंग गंभीर अपराध है।

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