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दिल्ली हाईकोर्ट ने BSF जवानों के घरेलू कामों में दुरुपयोग पर केंद्र व BSF से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के जवानों को उच्च अधिकारियों के घरों में घरेलू कामों में लगाए जाने के मामले पर गंभीर रुख अपनाया है। बुधवार को कोर्ट ने गृह मंत्रालय (MHA) और BSF को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

यह जनहित याचिका (PIL) BSF के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) संजय यादव ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जवानों को सीमा सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी से हटाकर अधिकारियों के घरों में घरेलू सेवाओं, यहां तक कि पालतू कुत्तों की देखभाल तक में लगाया जा रहा है। यह न केवल जवानों का अपमान है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए भी खतरा है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अगुवाई वाली खंडपीठ ने माना कि याचिका में उठाया गया मुद्दा वाकई मौजूद है और इस पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।

याचिकाकर्ता ने बताया कि CAPFs और असम राइफल्स में पहले से ही 83,000 से अधिक पद खाली हैं। ऐसे में जवानों का घरेलू कामों में इस्तेमाल करना न केवल अनुचित है बल्कि सार्वजनिक धन पर भी अतिरिक्त बोझ डालता है।

याचिका में यह भी उल्लेख है कि 2016 में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने स्पष्ट आदेश जारी किया था कि सेवानिवृत्त अधिकारियों को दिए गए विशेषाधिकार, जैसे कि जवान, वाहन या अन्य सुविधाएं, एक महीने के भीतर वापस ले ली जाएं। इसके बावजूद BSF द्वारा बनाए गए आंकड़ों के अनुसार 131 जवान अभी भी सेवानिवृत्त अधिकारियों के यहां अनधिकृत रूप से तैनात पाए गए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि बार-बार चेतावनी और कानूनी नोटिस देने के बावजूद BSF ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसलिए इस गंभीर मुद्दे की स्वतंत्र जांच आवश्यक है ताकि जवानों के दुरुपयोग को रोका जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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